बेवकूफ (कविता) प्रतियोगिता हेतु-01-Apr-2024
दिनांक- 01,04 ,2024 दिवस- सोमवार प्रदत्त विषय- बेवकूफ़ प्रतियोगिता हेतु
नल को खोल बहादे पानी वो होता बेवकूफ़ अन्न की जो ना करता इज़्ज़त वो होता बेवकूफ़ भूखे को भोजन ना देता वो होता बेवकूफ़ तुलसी की करता ना इज़्ज़त वो होता बेवकूफ़ बरगद,पीपल को ना पूजे वो होता बेवकूफ़ बोध ज्ञान से दूरी रखता वो होता बेवकूफ़ सज्जन मध्य में आए उबासी वो होता बेवकूफ़ आम,आँवला वृक्ष कटाए वो होता बेवकूफ़ मात-पिता का करे निरादर वो होता बेवकूफ़ खग- मृग को देता ना चारा वो होता बेवकूफ़ पानी से मुंडेर है खाली वो होता बेवकूफ़ हरे छिलके से करें गंदगी वो होता बेवकूफ़, मवेशी को जो खिला न देता वो होता बेवकूफ़ टूटा कांँच सड़क पर फेकें वो होता बेवकूफ़ गिरे हुए पर दिल भर हंँसता वो होता बेवकूफ़ आगा-पीछा जो ना सोचे वो होता बेवकूफ़ आज के काम को कल पर टाले वो होता बेवकूफ़ गुरुजन का जो करे अनादर वो होता बेवकूफ़ संस्कारों की करे उपेक्षा वो होता पर बेवकूफ़, आधुनिकता हेतु गहे बेशर्मी वो होता बेवकूफ़ विद्वत जन पर कसे फब्तियांँ वो होता बेवकूफ़
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
16-Apr-2024 12:23 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Shnaya
11-Apr-2024 05:04 PM
V nice
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Gunjan Kamal
08-Apr-2024 08:34 PM
बहुत खूब
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